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Saturday, January 5, 2008
मेरी पसंद-
मासूम मोहब्बत का बस इतना सा फ़साना है,
कागज़ कि हवेली है, बारिश का ज़माना है,
क्या शर्त-ए-मोहब्बत है, क्या शर्त-ए-ज़माना है,
आवाज़ भी ज़ख्मी है, और गीत भी गाना है,
उस पार उतरने कि उम्मीद बहोत कम है,
कश्ती भी पुरानी है, तूफ़ान को भी आना है,
समझे या न समझे वो अंदाज़ मोहब्बत के,
एक शक्स को आखों से, एक शेर सुनाना है,
भोली सी अदा,कोई फिर इश्क कि जिद्द पर है,
फिर आग का दरिया है, और डूब के जान है।
Thursday, January 3, 2008
कविता - क्या कहा
Tuesday, January 1, 2008
मेरी पसंद -नसीम
बग़ैर मेरे तुझे चैन आ नहीं सकता मेरा जवाब कहीं से तू ला नहीं सकता हज्जार र्पदे भी डालो अगर बनावट केदिलों की बात को चेहरा छुपा नहीं सकता बना दिया है ज़माने ने दिल को पत्थर का सताए कोई भी मुझ रुला नहीं सकता
हसीन ताज महल के बनाने वाला भी
दिलों के टूटे घरौंदे बना नहीं सकता

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