एक मुसलसल अजाब ले जाना
मेरी आंखों के ख्वाब ले जाना
फासिले जब फरेब देने लगें
कुर्बतों के सराब ले जाना
लौट आना कभी जो मुमकिन हो
और यादों के बाब ले जाना
इस से पहले के रुत बदल जाये
अपने सारे गुलाब ले जाना
तिश्नगी, आस, तीरगी “ज़हिद”
कोई तो इजतिराब ले जाना
ज़हिद मसूद