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Tuesday, March 11, 2008
फरजाना नैना की खूबसूरत गज़लें
ख्वाहिशें होश खोये जाती हैं/
दर्द के बीज बोये जाती हैं /
कैसा नशा है सुर्ख फूलों में ,
तितलियाँ उन पे सोये जाती हैं/
चूड़ियाँ भूले बिसरे बचपन की,
कैसी टीसें चुभोये जाती हैं/
धुप से मैंने भर दिया आँगन
बारिशें फिर भी होए जाती हैं/
मेरे 'नैना' को हसरतें मेरी
आंसुओं में दुबोये जाती हैं/
Labels: फरजाना नैना
फरजाना नैना की खूबसूरत गज़लें
है ज़रा सा सफर गुज़ारा कर /
चंद लम्हे फ़क़त गवारा कर /
धुप में नज्म बादलों पे लिख
कोई परछाई इस्त'आरा कर /
छुई मुई की एक पत्ती हूँ
दूर ही से मेरा नज़ारा कर /
आसमानों से रोशनी जैसा,
मुझ पे इलहाम एक सितारा कर /
पहले देखा था जिस मुहब्बत से,
इक नज़र फिर वही दुबारा कर/
खो न जाए गुबार में 'नैना'
मुझ को ए ज़िन्दगी पुकारा कर /
Labels: फरजाना नैना
Monday, March 10, 2008
उसे कहना
मुकमल कुछ नहीं होता,
मिलन भी नामुकमल है,
जुदाई भी अधूरी है,
यहाँ इक मौत पूरी है,
उसे कहना,
उदासी जब रगों में,
खून की मानिंद उतरती है,
बुहत नुकसान करती है,
उसे कहना,
बिसाते -ऐ -इश्क में जब मात होती है,
दुखों क शहर में जब रात होती है,
मुकमल बस खुदा की जात होती है,
उसे कहना.

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