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Wednesday, January 9, 2008

 

निदा फाजली

दिन सय्यारा, तन बंजारा क़दम क़दम दुश्वारी है
जीवन जीना सहल न जानो, बोहत बड़ी फनकारी है

औरों जैसे हो कर भी हम बा-इज्ज़त हैं बस्ती में
कुछ लोगों का सीधापन है, कुछ अपनी अय्यारी है

जब जब मौसम झूमा हमने कपडे फाड़े शोर कियाहर मौसम शाएस्ता रहना कोरी दुनियादारी हैऐब नहीं है इसमें कोई लाल परी न फूल गलीयह मत पूछो वो अच्छा है या अच्छी नादारी हैजो चेहरा देखा वो तोडा नगर नगर वीरान कियेपहले औरों से नाखुश थे अब खुद से बेज़ारी है
निदा फाजली

Sunday, January 6, 2008

 

एक ग़ज़ल

मँझधार में ना छोड़ के जाने की बात कर,
झूठा ही सही प्यार निभाने की बात कर।


किसने निभाई दोस्ती किसने दगा दिया,
तू अपनी बात कर, ना जमाने की बात कर.
माणा कि बड़ी मुश्किलें हैं सामने तेरे,
जैसे भी सही रब्त निभाने की बात कर।


मस्जिद की बात कर ना शिवाले की बात कर,
एक ताजमहल और बनाने की बात कर।


गीता-कुरान-बाइबिल वो आप पढ़ेगा,
बच्चे को अपने प्यार पढ़ाने की बात कर।


रातों की ओर देख ना तारों की ओर देख,
रुखसार से बस जुल्फ हटाने की बात कर।


जाति के भेदभाव के मसले निकाल दे,
'संजय' दिलों में प्यार जगाने की बात कर।




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